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    व्यंग कविता - देश , क्षेत्र व समाज को समृद्धि की ओर के जाने के बीच कई धूर्त बाज़ रहते है ; जो चोले पर चोला पहने रहते है ..\u270d\ufe0f जिनका अनुभव व्यक्ति को अपने जीवन...  
  
	  
  
      
      
 
 
  
    
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