Bhawesh Chahande
We were all humans until, religion separated us, politics divided us, wealth classified us and race disconnected us. Since the universe is an organic whole, governed by cosmic order, all human being must be treated as fellows. Secondly, as human nature all over the ....visit... http://www.lifometry.com/2019/06/well-being-of-all.html
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डाईबटीज के रुग्णो में कॉम्प्लिकेशन (#diabetescomplications) निर्माण होने के कुछ विशिष्ठ कारण नज़र में आए हैं, आपके साथ भी साझा कर रहे हैं-
१) डाईबटीज का रुग्ण अगर दही, अत्यधिक पानी पीना, रोज़ स्नान ना करना, मांसाहार का अति सेवन, दिन में सोना इत्यादि कारणो का सेवन करता है तो उसे - #nephropathy (डाईबटीज के कारण हुई किड्नी की बीमारी/किड्नी फेल) होने की सम्भावना ज़्यादा मिल रही है।
२) डाईबटीज का रुग्ण अगर नमक, मिर्च, खट्टा इत्यादि का अधिक सेवन करे, क्रोध अथवा चिंता अधिक करे, अथवा नेत्र से जुड़े व्यवसाय जिसमें स्क्रीन टाइम ज़्यादा हो ऐसे अवस्था में उसे - #retinopathy (डाईबटीज के कारण हुई आँखों की बीमारी/अंधापन) होने की सम्भावना ज़्यादा मिल रही है।
३) डाईबटीज का रुग्ण अगर नीम, करेले का जूस, या अत्यधिक रूक्ष आहार जैसे गेहूं बंद कर चने आदि की रोटी खाता है, खाना कम कर अनुचित तरीक़े से भूखा रहने की कोशिश करता है, शक्ति से अधिक व्यायाम करता है, या फिर आहार में घी-दूध त्याग कर कम चिकनाई वाले रेफ़ायंड तेल ला सेवन करता है तो उसे - #neuropathy (डाईबटीज के कारण हुई नसों की बीमारी/डाईबटीक अल्सर/झनझनाहट) होने की सम्भावना ज़्यादा मिल रही है।
वैद्य राहुल गुप्ता
Deoratna Goel
भारत पर डोनाल्ड ट्रंप के 25% टैरिफ़ वॉर कोई डरने वाली बात नहीं है...!! बजाय जो बाइडन के भारत के खिलाफ कोल्ड वॉर से.
डोनाल्ड ट्रंप का टैरिफ वॉर बाकि देशो पर भी लग रहे है लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प ने ख़ास भारत के विषय में ही लिखा है यह बड़ी सोचने वाली बात है. हमारी प्रतिष्ठा कितनी बढ़ी है वो इससे समझ मे आता है. अमेरिका के पुर्व राष्ट्रपति जो बाइडन तो अब भी याद नहीं आते क्योंकि उनके समय तो अमेरिका भारत मे तख्तापलट जैसे साजिशों में लिप्त था. लेकिन ट्रम्प का टैरिफ़ वॉर उससे ज्यादा आसान है बजाय बाइडन के कोल्ड वॉर से.
डोनाल्ड ट्रम्प की भारत से कुछ मांगे है, पहली मांग भारत ने नोबल पुरुस्कार के लिये उन्हें नामांकित क्यों नहीं किया. दूसरी मांग है, भारत अमेरिका से F-35 विमान खरीदे. तीसरी और सबसे खतरनाक मांग है कि भारत अमेरिकी कम्पनियो को भारत की क़ृषि बाजार मे घुसने दे... मित्रों, तीसरी मांग को यदि हम मान गए तो समझो भारतीय किसानों की हालत ख़राब हो जायेगी. इसमें बहुत बड़ी गलती विपक्ष का है. जिसने भारत में 3 कृषि कानून लगने नहीं दिया, क्योंकि इसके पीछे ही अमेरिका था. यदि भारत में यह 3 कृषि कानून लग जाते, तो अमेरिका को भारत में घुसने बहुत परेशानी होती, जिस तरह टाटा और महिंद्रा ने भारत में विदेशी कारो की छुट्टी कर दी वैसे क़ृषि मे ऐसा कोई बड़ा ब्रांड नहीं दिखता जो भारत में विदेशियों की टक्कर मे हो. इसलिए मोदी ने अगले 15 सालों में होने वाले परिदृश्य को देखते हुए इस कृषि कानून को लाया था. उस समय भी भारत और अमेरिका मुक्त व्यापार समझौते के लिए, बातचीत की टेबल पर बैठ रहे थे. लेकिन अमेरिका और हमारा प्यारा देश द्रोही विपक्ष एसे होने नहीं दिया. यदि अमेरिकी कम्पनिया भारतीय कृषि सेक्टर में घुस आयी तो ये समझ लीजिये वह चुन चुनकर मारेगी.
मित्रों.. वैसे यह आपदा मे एक अवसर भी हो सकता है, कि भारत सरकार मान जाए और ज़ब किसानों के गले पर बात आये तो अमेरिकी उत्पादों को ही धूल चटा दे, लेकिन यहां राहुल गांधी राजनीति जरूर खेलेगा. ट्रम्प जो कर रहा है वो भारत के लिये एक सुअवसर है, यही मौका है ज़ब चीन से संबंध अच्छे हो सकते है, और यह हो जाएंगे इसमें कोई शक नहीं है. भारत पर दबाव आएगा तो यूरोपीय संघ और दक्षिणी अमेरिकी देशो से भी ट्रेड डील हो सकती है. ट्रंप की टैरिफ से भारत की स्पीड थोड़ी धीमी हो सकती है, लेकिन मोदी सरकार पर पुरा भरोसा है कि भारत की ग्रोथ स्पीड रुकेंगे नहीं. वैसे एक बात यह भी है कि अमेरिका से कई देशो ने ट्रेड डील कर लिया है, बावजूद भी इसके उन पर 15% टैरिफ़ लग चुके है..!! मतलब यदि भारत भी ट्रेड डील कर लेता है तो उसे भी टैरिफ़ से मुक्ति नहीं मिलेगी. इस तथ्य को इसलिए जान लीजिए कि, ट्रेड डील के बाद भी राहुल बींची अपना भौ भौ करना नहीं रोकेगा. अब दूसरी बात यह है कि, कल ट्रम्प ने कहा कि भारत और रूस की अर्थव्यवस्था मर चुकी है !! इससे उलट हाल ही मे भारत ने 4 ट्रिलियन का आंकड़ा पार किया है.
डोनाल्ड ट्रम्प ने रूस के साथ भारत का नाम जोड़कर एक बचकाना हरकत किया है. पूरे विश्व में इस तरह नाम लेकर हमले करने वाले गधे सिर्फ राहुल गाँधी और जस्टिन ट्रूडो ही हो सकते हैं. अब रही पाकिस्तान के साथ अमेरिका की डील तो खुद पाकिस्तान भी इस समय बेइज्जती महसूस कर रहा, क्योंकि पाकिस्तान के लोग अब अपने सरकार से पूछ रहे है कि अमेरिकी कम्पनी को ऑयल क्यों देने वाले हो..!? पाकिस्तान के साथ अमेरिका यह गुप्त डील था, मगर किंतु परंतु डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने बड़बोलेपन मे बोल दिया कि पाकिस्तान से तेल निकालने मे अमेरिकी कंपनी सहायता रहे है. वैसे पाकिस्तान मे तेल का एक बूंद तो अब तक मिली नहीं, सिर्फ पाकिस्तानियों को संभावना ही मिली है.
महज एक संभावना पर ट्रम्प इतने उतावले हो गए, यहां आयु एक ऐसा तत्व है जिस पर किसी का बस नहीं है. भारत को किसी भी प्रकार के चिंता की कोई जरूरत नहीं है. यह 25% टैरिफ़ लगे हम भारतीयों पर, परंतु चुकाना अमेरिकी जनता को है. महंगाई अमेरिका मे बढ़ेगी, डॉलर थोड़ा महंगा हो सकता है और थोड़ी सी महंगाई हमारी भी बढ़ जाएगी, लेकिन भारत अमेरिका के हर व्यापारिक युद्ध का उत्तर देने के लिये प्रस्तुत भी है और सक्षम भी......
Jiban Anand Mishra