संजीव जैन
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!!
फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!!
नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!!
सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!!\ud83d\udc9e
" गाँव "
दीपक कुमार गुप्ता
तुम दर्द दो हम आह भी न करें,
इतने भी नहीं है मजबूर की अपना दर्द बयां भी न करें...
दीपक ✍️
Mukesh Bansal
बात 2010 के आसपास की है तब शायद $1 में लगभग 43₹ आते थे तब मैंने एक पोस्ट लिखी थी कि भविष्य में अगर ₹1 में 43 डॉलर आएंगे तो आपको कैसा लगेगा।
वह पोस्ट मुंगेरीलाल के हसीन सपनों जैसी थी।
तब से अब तक $1 बढ़ते बढ़ते 88 रुपए का हो गया है लेकिन मैं आज भी यही सोचता हूं कि ऐसा समय जरूर आएगा जब ₹1 में एक से ज्यादा डालर मिलेंगे।
मतलब की डालर का 88 गुना से भी ज्यादा अवमूल्यन। देखा जाए तो यह 2010 में मेरे द्वारा देखे गए सपने से भी बड़ा मुंगेरीलाल का हसीन सपना है।
लेकिन अब वैश्विक पटल पर एक तरफ तो इस तरह के संकेत मिलने शुरू हो गए हैं कि डॉलर का वर्चस्व धीरे-धीरे खत्म हो जाएगा और दूसरी और वैश्विक अर्थव्यवस्था पर रुपए की पकड़ मजबूत होनी भी शुरू हो गई है।
भारत का ग्रेट प्रोजेक्ट आफ अंडमान निकोबार भी शुरू होने वाला है जिससे सामरिक दृष्टि से हिंद महासागर में भारत के वर्चस्व के अलावा 12 लाख करोड रुपए की सालाना बचत होनी भी शुरू हो जाएगी। ऐसे में इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था पूरी तरह से आत्मनिर्भर भी हो जाएगी।
ऐसा मेरे मानने का कारण यह भी है कि विश्व के 40 से भी ज्यादा देश पहले से ही भारतीय रुपए पर अपना भरोसा जता चुके हैं तो भविष्य में रुपए का मजबूत होना भी अवश्यंभावी है।
सनद रहे कि भारत पर अमेरिका द्वारा पूर्ण दबाव बनाने के बावजूद भारत का एक्सपोर्ट पिछले सप्ताह में 35000 करोड रुपए से भी ज्यादा बड़ा है।
लोगों में यह आशंका हो सकती है कि अभी तो रुपए की कीमत धड़ाधड़ कम हो रही है।
लेकिन दोस्तों रुपए की कीमत कम होने से हमारे आत्म निर्भर बनने की स्पीड बहुत ज्यादा बढ़ जाती है रुपए की कीमत कम होने से हमारा एक्सपोर्ट सस्ता हो जाता है और विदेशों से मंगवाये जाने वाला सामान मेंहगा। क्योंकि विदेशों से मंगवाये जाने वाला सामान महंगा होता है अतः उस सामान को भारत में बनाने की इकाइयां स्थापित होनी शुरू हो जातीं हैं जिससे भारत की आत्म निर्भरता बढ़ जाती है। शायद इसीलिए हमारा नेतृत्व रुपए की कीमत बढ़ने नहीं दे रहा।
वैसे वैश्विक अर्थव्यवस्था में किस देश की कौन सी हरकत पूरी स्थिति को कब और क्यों बदल दे यह तो सिर्फ भगवान ही जानता है।
मोहन सिंह
सुवेंदु अधिकारी का रोहिंग्या घुसपैठियों को लेकर बड़ी मांग
बिहार में जो हो रहा है, वही यहां भी होना चाहिए। लाखों रोहिंग्या मुसलमानों के नाम यहां की मतदाता सूची में हैं, उन्हें हटाया जाना चाहिए। यह राष्ट्रीय हित का सवाल है। बंगाल को बचाना होगा।
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