संजीव जैन
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!!
फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!!
नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!!
सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!!\ud83d\udc9e
" गाँव "
Anupama Jain
बढ़ती उम्र की स्त्रियों का प्रेम में पड़ना
न तो वासना होती है, न ही कोई चरित्रहीनता,
बल्कि यह उस अधूरी आत्मा की पुकार होती है,जो जीवन की भागदौड़ और जिम्मेदारियों में
कभी खुद से मिल ही नहीं पाई।
जब उम्र बढ़ती है,
तो औरत को प्यार की नहीं,
बल्कि समझे जाने की जरूरत होती है...
उसकी आँखों में झाँककर
उसकी थकान को पढ़ने वाले साथी की जरूरत होती है।
ऐसा प्रेम उनके लिए एक नई उम्मीद बन जाता है,
जहाँ वो फिर से खुलकर मुस्कुरा सके,
फिर से अपनी नारीत्व को महसूस कर सके,
बिना किसी शर्म या समाज के डर के।
क्योंकि
प्रेम उम्र देखकर नहीं आता,
वो दिल की गहराई से उपजता है —
और बढ़ती उम्र में जो प्रेम मिलता है,
वो अक्सर सबसे सच्चा और सबसे संजीदा होता है।
ARVIND Ashiwal
जो विमान हादसे पर भी जश्न मनाए,
उनके नाम ही काफी हैं पहचान के लिए।
ये इंसान नहीं, नफ़रत के पालतू हैं जिन्हें देश की हर तकलीफ़ में मज़ा आता है।
दुर्घटना पर मुस्कराना इंसानियत नहीं, वहशीपन है।
अखंड भारत
अदालतों के दोहरे मानदंड.. क्या हिन्दुओं का अंत करने के लिए हैं....?
मीलॉर्डस कहते थे कि ,अगर तीन तलाक का मामला इस्लाम धर्म का हुआ तो, उसमें हम दखल नहीं देंगे…. ठीक है,परंतु जल्लीकट्टू, दही हांडी, गौ हत्या, राम मंदिर जैसे कई हिंदुओ के मामले हैं, जिसमें मीलॉर्डस बेझिझक दखल देते हैं…..क्या हिंदू धर्म कानून के हिसाब से धर्म नहीं है या फिर, मीलॉर्डस भी मुसलमानों की कट्टरता और धमकियों से डरते हैं….
कुरान में लिखे होनें से,तीन तलाक को जायज़ माना जा सकता है तो पुराणों में लिखे, राम के अयोध्या में जन्म होनें को क्यों नहीं माना जा सकता… गाय का मांस खाना या ना खाना उनकी मर्जी….लेकिन, सुअर का मांस वो नहीं खायेंगे ….क्योंकि ये उनके तथाकथित धर्म के खिलाफ है……शनि शिंगनापुर मंदिर में महिलाओं को प्रवेश ना देना महिलाओं पर अत्याचार हो जाता है, पर हाजी अली दरगाह में औरतों को प्रवेश देना या ना देना, उनके धर्म का आंतरिक मामला बन जाता है….पर्दा प्रथा एक सामाजिक बुराई मानी गयी …..लेकिन बुर्का उनके धर्म का हिस्सा है और उसपर सवाल उठाना मतलब उनकी धार्मिक स्वतंत्रता में हस्तक्षेप……
जल्लीकट्टू में जानवरों के साथ खेले जाने से मीलॉर्डस जानवरों के दर्द से द्रवित होकर उसे बैन कर देंगे…पर बकरीद पर हजारों लाखों निरीह जानवरों को तड़पा-तड़पा कर मौत के घाट उतार देने पर मीलॉर्डस आँखों पर पट्टी और कानों में रुई ठूंस कर सो जाते हैं… दही हांडी मीलॉर्डस के हिसाब से एक भयंकर खतरनाक खेल है….जबकि मोहर्रम में छूरी, काँटों से अपने पूरे शरीर को लहू-लुहान कर लेना उनके धर्म का मामला हो जाता है…..शिवजी पर दूध चढ़ाना… दूध की बर्बादी है ….लेकिन मजारों पर चादर चढ़ाने से बड़ा सबाब कोई नहीं…. हम दो हमारे दो…हमारा परिवार नियोजन है….लेकिन, उनका कीड़े-मकोड़ों की तरह, बच्चे पैदा करना अल्लाह की नियामत और धर्मानुसार उनका हक है ….
भारत तेरे टुकङे होगें !…..इंशा-अल्लाह इंशा,अल्लाह , ये कहना उनकी अभिव्यक्ति की आजादी है…परंतु वंदे मातरम” कहते ही पूरा इस्लाम खतरे में, आ जाता है…..सैनिकों पर पत्थर फैंकने वाले, भटके हुऐ नौजवान हैं…लेकिन अपनी आत्मरक्षा में एक्शन लेने वाले सैनिक मानवाधिकार उल्लंघन के दोषी हो जाते हैं…..एक दरगाह पर विस्फोट हुआ तो सारे हिन्दुओं को हिन्दू आंतकवाद शब्द गढ़ कर ढिंढोरा पीट-पीट कर जलील किया जाता है पर वहीं मुस्लिम आतंकवादी जो रोजाना जगह जगह बम फोड़ते हैं, मंदिरों को तोड़ते हैं और हिन्दू लड़कियों को लव जिहाद में फंसाकर उनका अपहरण और बलात्कार करते हैं, उन भटके हुओं का कोई धर्म नहीं दिखाई पड़ता …
शशि यादव
क्या आप लोग वक्फ बोर्ड को हटाने का समर्थन करते हैं
अंकित जोशी
*ड्राइविंग लाइसेंस समेत गाड़ी के दस्तावेजों जैसे RC, कार फिटनेस की वैधता अगले साल 31 मार्च तक के लिए बढ़ी*
*सरकार ने रविवार को एक अहम कदम उठाते हुए ड्राइविंग लाइसेंस (Driving License validity extended), गाड़ी की आरसी (RC validity extended), गाड़ी का परमिट (Vehicle Permit validity extended) और फिटनेस सर्टिफिकेट की वैधता (Fitness Certificate validity extended) को अगले साल 31 मार्च 2021 तक के लिए बढ़ा दिया है। कोरोना वायरस महामारी को ध्यान में रखते हुए ये अहम फैसला लिया गया है।*