संजीव जैन
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!!
फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!!
नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!!
सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!!\ud83d\udc9e
" गाँव "
ARVIND Ashiwal
जो विमान हादसे पर भी जश्न मनाए,
उनके नाम ही काफी हैं पहचान के लिए।
ये इंसान नहीं, नफ़रत के पालतू हैं जिन्हें देश की हर तकलीफ़ में मज़ा आता है।
दुर्घटना पर मुस्कराना इंसानियत नहीं, वहशीपन है।