Anupama Jain
बढ़ती उम्र की स्त्रियों का प्रेम में पड़ना
न तो वासना होती है, न ही कोई चरित्रहीनता,
बल्कि यह उस अधूरी आत्मा की पुकार होती है,जो जीवन की भागदौड़ और जिम्मेदारियों में
कभी खुद से मिल ही नहीं पाई।
जब उम्र बढ़ती है,
तो औरत को प्यार की नहीं,
बल्कि समझे जाने की जरूरत होती है...
उसकी आँखों में झाँककर
उसकी थकान को पढ़ने वाले साथी की जरूरत होती है।
ऐसा प्रेम उनके लिए एक नई उम्मीद बन जाता है,
जहाँ वो फिर से खुलकर मुस्कुरा सके,
फिर से अपनी नारीत्व को महसूस कर सके,
बिना किसी शर्म या समाज के डर के।
क्योंकि
प्रेम उम्र देखकर नहीं आता,
वो दिल की गहराई से उपजता है —
और बढ़ती उम्र में जो प्रेम मिलता है,
वो अक्सर सबसे सच्चा और सबसे संजीदा होता है।
ARVIND Ashiwal
जो विमान हादसे पर भी जश्न मनाए,
उनके नाम ही काफी हैं पहचान के लिए।
ये इंसान नहीं, नफ़रत के पालतू हैं जिन्हें देश की हर तकलीफ़ में मज़ा आता है।
दुर्घटना पर मुस्कराना इंसानियत नहीं, वहशीपन है।
प्रमोद कुमावत Pramod kumawat
महाकवि सुब्रमण्यम भारती ऐसे साहित्यकार थे जो सक्रिय रूप से स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल रहे, जबकि उनकी रचनाओं से प्रेरित होकर दक्षिण भारत में बड़ी तादाद में आम लोग आजादी की लड़ाई में कूद पड़े।