Shobhana Thakkar
सिर्फ अमिताभ बच्चन और जया बच्चन ही अपने बेटे को बचपन में सही शिक्षा देते थें..
बेटा “Abhi” पढाई कर लो….
फिर बाद में जीवनभर
“ऐश” के साथ रहना !
संजीव जैन
"अच्छी थी, पगडंडी अपनी, सड़कों पर तो, जाम बहुत है!!
फुर्र हो गई फुर्सत, अब तो, सबके पास, काम बहुत है!!
नही बचे, कोई सम्बन्धी, अकड़,ऐंठ,अहसान बहुत है!!
सुविधाओं का ढेर लगा है यार, पर इंसान परेशान बहुत है!!\ud83d\udc9e
" गाँव "
ravindra jain
हरिजन सीट पर केवल हरिजन ही लडेगा पिछडा सीट पर केवल पिछडा़ तो सवर्ण सीट पर केवल सवर्ण क्यो नही ये कोई कानून है यह तो सवर्णो का शोषण है मै इसका विरोध करता हू।
sanjay jain
किसी का अपमान करके जो सुख मिलता है
वह थोड़े समय का होता है …लेकिन किसी को
सम्मान देकर जो आनंद मिलता है
वह जीवन भर साथ रहता है !
Anupama Jain
बढ़ती उम्र की स्त्रियों का प्रेम में पड़ना
न तो वासना होती है, न ही कोई चरित्रहीनता,
बल्कि यह उस अधूरी आत्मा की पुकार होती है,जो जीवन की भागदौड़ और जिम्मेदारियों में
कभी खुद से मिल ही नहीं पाई।
जब उम्र बढ़ती है,
तो औरत को प्यार की नहीं,
बल्कि समझे जाने की जरूरत होती है...
उसकी आँखों में झाँककर
उसकी थकान को पढ़ने वाले साथी की जरूरत होती है।
ऐसा प्रेम उनके लिए एक नई उम्मीद बन जाता है,
जहाँ वो फिर से खुलकर मुस्कुरा सके,
फिर से अपनी नारीत्व को महसूस कर सके,
बिना किसी शर्म या समाज के डर के।
क्योंकि
प्रेम उम्र देखकर नहीं आता,
वो दिल की गहराई से उपजता है —
और बढ़ती उम्र में जो प्रेम मिलता है,
वो अक्सर सबसे सच्चा और सबसे संजीदा होता है।